जज्बा- सरकारी नौकरी से सेवानिवृत होकर कर रहे वेद से एम.ए., कम उम्र के प्रोफेसर भी देखकर हो जाते हैं खड़े

हरिद्वार ( डॉ. शिवा )। कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो न उम्र की कोई सीमा होती है न किसी प्रकार का व्यवधान ही आड़े आता है। सरकारी नौकरी से सेवानिवृत होकर अपनी पढ़ने की ललक को पूरा करने के लिये 61 साल की उम्र में दाखिला लेकर अब वेदपाठी छात्र बन गये हैं। उनको पढ़ाने वाले प्रोफेसर उनसे कम उम्र के हैं।

कक्षा का कैसा नजारा होता होगा जरा कल्पना कीजिये। प्रोफेसर साहब क्लास लेने आते हैं और छात्र खड़े हो जाते हैं। प्रोफ़ेसर साहब से ज्यादा उम्र के उनके छात्र हैं। प्रोफेसर साहब थोड़ा झेँपते हैं और कहते हैं की आप मेरे आने पर खड़े न हुआ करें परन्तु छात्र की उम्र भले ही ज्यादा हो पर रिश्ता तो गुरु शिष्य का है। जी हाँ ऐसे ही एक छात्र आजकल चर्चा में है। 37-38 साल की सरकारी सेवा से अधिवर्षता पूरी होने के बाद अब फिर से छात्र जीवन शुरू। जसपुर कोषागार से उप कोषाधिकारी पद से सेवानिवृत पंकज गुप्ता इन दिनों गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय के छात्र हैं। पंकज बताते हैं की उन्होंने सोचा खाली बैठने से क्या फायदा। उन्होंने कहा कि उन्होंने पिछले साल ही एम. ए. वेद में प्रवेश लिया और अब वह ऋग्वेद का अध्ययन कर रहे हैं। वह कहते हैं कि पढ़ने कि कोई उम्र नहीं होती। जब शुरुआत करो तभी उत्तम। पंकज गुप्ता नई पीढ़ी के लिये किसी प्रेरणादायक से कम नहीं।

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