
इतिहास के प्रोफेसर डॉ. संजय माहेश्वरी बताते हैं कि गंग नहर लॉर्ड डलहौजी का एक बड़ा प्रोजेक्ट था। जिसे इंजीनियर कोटले के सुपरविजन में तैयार किया गया था। ब्रिटिश काल में कई ऐसे बड़े निर्माण किए गए जिनकी आधुनिक भारत में महत्वपूर्ण भूमिका है। इतिहासकारों का दावा है कि रुड़की कलियर के पास भारत की पहली रेल लाइन बिछाई गई थी। हालांकि इसे पहले रेलवे लाइन के रूप में पहचान नहीं मिल पाई।
हर साल मेंटेनेंस के लिए यूपी सिंचाई विभाग की ओर से गंग नहर बंद की जाती है। जिससे हरिद्वार का नजारा पूरी तरह से बदल जाता है। गंगा का जल सूख जाने से गंगा की तलहटी पर नजर आ रही ये पटरियां ब्रिटिश कालीन तकनीक की एक बानगी भी कही जा सकती है।
हरिद्वार के जानकार डॉ. सत्य नारायण शर्मा बताते हैँ कि हरकीपैड़ी पर यह रेलवे लाइन पुराना मायापुर नहर व भीमगोडा बैराज निर्माण काल मे बनी थी, यह पटरी मायापुर डाम कोठी के केशव आश्रम के समीप से लेकर हाथीपुल गऊघाट तक ऊपर गङ्गा किनारे थी ,तथा गौ घाट पुल से वर्तमान आर्चपुल के नीचे पुराने बैराज-गार्डन तक तथा बैराज से लाल जी वाला लाल कोठी होती हुई दूधिया बन्द तक यह पटरी थी।जिसका प्रमाण भगीरथ बिंदु के पास स्थित पटरी पुल जो आज भी विद्यमान है।
मायापुर डाम कोठी से अंग्रेज अधिकारी, छोटी हाथ से खींचने वाली ट्रैन ट्रॉली जो इस पटरी पर चलती थी जिसे सरकारी सेवक धक्का लगा कर चलाते थे, बैठ कर निरीक्षण करने आते जाते ,तथा कालांतर में यहां बने अत्यधिक सौन्दर्यमयी गार्डन का आंनद लेने डाम कोठी मायापुर से ट्रॉली पर बैठकर आनन्द लेने आया करते थे।
ज्ञात हो कि भीमगोडा बैराज से वर्तमान vip घाट के मध्य अत्यंत सुन्दर भव्य आकर्षक विशाल गार्डन भी हुआ करता था जिसमे से एक छोटी नहर निकल कर vip घाट गङ्गा में मिलती थी जो बाग के बीच बहती थी जिसके बीच बीच मे आकर्षक फुव्वारे भी थे। कश्मीर के गुलमर्ग गार्डन की भांति शोभायमान यह गार्डन हुआ करता था। हरिद्वार के अनेको व्यक्तियों ने भी उस ट्रॉली की सवारी की । उस गार्डन में घूमने व खेलने जाया करते थे । वह ट्रॉली उस समय पुल पर निर्मित हाथियों के नीचे बने चेम्बर में खड़ी रहती थी।