शिक्षा का अधिकार डेस्क। शिक्षा विभाग में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने के मामले संज्ञान में आते ही रहते हैं। इन मामलों में कोर्ट से सजा, बर्खास्तगी आदि की कार्यवाही चलती रहती है। परन्तु यह मामला लापरवाही के साथ अत्यंत संगीन है। पाकिस्तान की रहने वाली महिला ने यूपी के बरेली में अपनी नागरिकता छिपाकर शिक्षिका की नौकरी कर ली। महिला 10 साल तक नौकरी करती रही, लेकिन विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगी।
दो साल पहले हिन्दुस्तान अख़बार ने इस प्रकरण का खुलासा किया तो अफसर हरकत में आए और जांच बैठा दी। दो साल बाद अब पाकिस्तान की नागरिकता छुपाकर कूटरचित निवास प्रमाण पत्र के आधार पर शिक्षक बनी शुमायला खान उर्फ फुरकाना को बीएसए ने बर्खास्त कर दिया है। बर्खास्त शिक्षिका के ऊपर फतेहगंज पश्चिमी थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई है। रामपुर की रहने वाली शुमायला फतेहगंज पश्चिमी के प्राइमरी स्कूल माधौपुर में तैनात थी। फतेहगंज पश्चिमी के खंड शिक्षा अधिकारी भानु प्रताप सिंह ने शुमायला खान के ऊपर रिपोर्ट दर्ज कराई है। शुमायला के ऊपर कूटरचित निवास प्रमाण पत्र के आधार पर सहायक अध्यापक की नियुक्ति प्राप्त करने का आरोप है। बजरोही टोला रामपुर निवासी शुमायला की नियुक्ति जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बरेली ने 6 नवंबर 2015 को प्राथमिक विद्यालय माधौपुर में की थी। काउंसलिंग के समय उप जिलाधिकारी सदर रामपुर से जारी निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया था। संबंधित शैक्षिक और प्रशिक्षण प्रमाण पत्रों का सत्यापन कराया गया। नियुक्ति के समय प्रस्तुत निवास प्रमाण पत्र का सत्यापन के लिए बीएसए कार्यालय बरेली ने लगातार कई पत्र एसडीएम रामपुर को भेजे, उनसे उक्त शिक्षिका का ऑनलाइन निवास प्रमाण पत्र और पूर्ण निवास प्रमाण पत्र का संबंध में स्पष्ट रिपोर्ट मांगी गई। 7 अगस्त 2024 को एसडीएम सदर रामपुर ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि शुमायला खान उर्फ फुरकाना एक पाकिस्तानी नागरिक है।