हरिद्वार। उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ नाम से शिक्षकों का कोई संगठन ही नहीं है। यदि ऐसा है तो वर्षों से तथाकथित शिक्षक नेता शिक्षकों की आँखों में धूल झोंक रहे थे। जिस उत्तरांचल स्टेट प्राइमरी टीचर्स एसोसिएशन के नाम का हिंदी अनुवाद कर इन नेताओं ने भ्रम का जाल फैलाया उसका पंजीकरण भी एक दशक पहले खत्म हो चुका। अब निबंधक को पत्र जारी कर कहना पड़ रहा है की उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ नाम से कोई संगठन उनके यहां पंजीकृत नहीं है।
काबिलेगौर है की उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ एक लम्बे समय से प्राथमिक शिक्षकों को बरगलाने का काम कर रहा है। इस सन्दर्भ में जब सच्चाई सामने आई तो पता चला की इस नाम से किसी संगठन का पंजीकरण ही नहीं है। पूर्व में उत्तरांचल स्टेट प्राइमरी टीचर्स एसोसिएशन के नाम से जिस संगठन का पंजीकरण हुआ वही अब इसके पदाधिकारियों के भ्रष्टाचार एवं अनियमितता के कारण पंजीकरण की बाट जोह रहा है। कुल मिलाकर यदि पंजीकरण की स्थिति स्पष्ट नहीं तो पूरे प्रदेश की कार्यकारिणी एवं उनके द्वारा शिक्षकों से लिया जाने वाला शुल्क भी पूरी तरह से अमान्य है। गत दिनों इसी सन्दर्भ में उप निबंधक ने पत्र जारी कर कहा कि उनके यहाँ उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के नाम से कोई संगठन पंजीकृत नहीं है। साथ ही पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि इनके द्वारा जो रसीद काटी जा रही हैँ उनपर भी उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ लिखा है जो गलत है। जो पंजीकरण राज्य निर्माण के वक़्त हुआ था वह उत्तरांचल स्टेट प्राइमरी टीचर्स एसोसिएशन के नाम से था।
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क्या कहते हैँ शिक्षक नेता-
उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के नाम से कोई भी शिक्षक संगठन पंजीकृत नहीं है। शिक्षक नेताओं द्वारा संघ के नाम पर एक लंबे समय से वसूली की जा रही है जो कि नियम विरुद्ध है। हास्यास्पद ये है कि उत्तरांचल स्टेट प्राइमरी टीचर्स एसोसिएशन के नाम से पिछले दस साल में एक भी रसीद नहीं काटी गयी है। शिक्षक संघ के एक पूर्व जिला अध्यक्ष ने इसी तरीके से अवैध रूप से शिक्षकों से वसूली कर शिक्षक भवन का निर्माण अपने निजी फायदे के लिए कर लिया जिसका कोई उपयोग शिक्षकों के हित में नहीं हो रहा है।
–– जितेंद्र सिंह ( अध्यक्ष राजकीय प्राथमिक शिक्षक एसो. हरिद्वार )