प्रयागराज में संतो के बीच गुत्थम-गुत्था, समाज में हो रही निंदा

हरिद्वार/ प्रयागराज। यह कैसी संतई है भाई। मान मर्यादा को ताक पर रखकर भगवाधारी इस तरह का अशोभनीय व्यवहार करेंगे तो कौन उनका सम्मान करेगा! प्रयागराज में कल जो कुछ घटा उसके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैँ। अखाड़ा परिषद के दो धड़ों की आपसी लड़ाई ने तमाम तरह के सवाल खड़े कर दिये हैँ अब भविष्य में इसका समाधान नहीं हुआ तो कुम्भ मेले में इसके विपरीत परिणाम सामने आएंगे।

भूमि निरीक्षण से पहले बृहस्पतिवार की शाम मेला प्राधिकरण के आईट्रिपलसी सभागार में अखाड़ा परिषद के दोनों धड़ों के संत भिड़ गए। दूसरे धड़े के महामंत्री महंत राजेंद्र दास को थप्पड़ मारने के बाद सभागार में चले लात घूंसे से अफरातफरी मच गई। हंगामे और शोर-शराबे के बीच मेलाधिकारी, मेला एसएसपी के अलावा प्रमुख संतों ने बीच-बचाव कर किसी तरह मामले को ठंडा कराया। मारपीट के बाद दूसरे धड़े के संतों ने मेला प्रशासन के साथ भूमि निरीक्षण में हिस्सा नहीं लिया।

कुंभ मेला प्रशासन की ओर से बृहस्पतिवार को भूमि निरीक्षण के लिए सभी 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था। दोपहर बाद तीन बजे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी (निरंजनी), महामंत्री महंत हरि गिरि के साथ सात अखाड़ों के संत मेला कार्यालय के आईट्रिपलसी सभागार में पहुंचे। उस दौरान मेलाधिकारी विजय किरण आनंद मौजूद नहीं थे। संतों ने सभागार में महाकुंभ के निर्विघ्न शुभारंभ के लिए हनुमान चालीसा पढ़ना शुरू कर दिया। अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी शिव स्तोत्र का पाठ करने लगे। दुर्गा चालीसा का पाठ हो रहा था, तभी अखाड़ा परिषद के दूसरे धड़े के महामंत्री निर्मोही अणी अखाड़े के अध्यक्ष महंत राजेंद्र दास और महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत यमुना पुरी सभागार में पहुंचे। तब वहां आगे की कतार में कुर्सियां खाली नहीं थीं। सिर्फ मेलाधिकारी के अलावा मेला एसएसपी और अपर मेलाधिकारी की कुर्सियां ही खाली थीं। इस पर संत भड़क गए और आपस में गाली गलौच करने लगे। हद तब हो गयी जब कुछ संतों ने दूसरों पर धक्कामुक्की और थप्पड़ बरसा दिये। अब प्रशासन के लिये इस स्थिति से निपटना बड़ी चुनौति है। लेकिन संतों के इस व्यवहार की चारों और आलोचना हो रही है।

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