हरिद्वार ( डॉ. शिवा )। कहते हैं कि जब इरादे नेक और प्रयास पूरी ईमानदारी से किया गया हो तो मंजिल दूर नहीं होती। शरीर कुदरत की नियामत है ओर जो है जैसा है अच्छा है। इसी सूत्र को आत्मसात करते हुए आकांक्षा भेल विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए वरदान साबित हुआ है।
1988 में भेल सेक्टर 1 स्थित संस्था आकांक्षा रूपी बीज का रोपण किया गया। अब यह एक वटवृक्ष के रूप में सबके सामने है। लगभग चार दशक से कार्य कर रहा यह संस्थान विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। विशेष आवश्यकता वाले बच्चे समाज की मुख्यधारा में शामिल हों, उनमें आत्मविश्वास जगे तथा साथ ही उनकी आजीविका का भी साधन हो इन लक्ष्यों को लेकर आकांक्षा ने अब तक हजारों बच्चों के लिए उत्प्रेरक का कार्य किया है। इस संवाददाता ने जब आकांक्षा जाकर देखा तो वहां विशेष आवश्यकता वाले विभिन्न बच्चे तरह तरह की गतिविधियों में संलग्न नजर आए।
आकांक्षा के मैनेजिंग ट्रस्टी एवं पूर्व एजीएम भेल आलोक सिन्हा कहते हैं कि एक पूर्व स्कूल के भवन को भेल ने संस्था के इस जनसरोकारी कार्य के लिए दिया था। वर्ष 1988 से आज तक यहां लगातार कार्य किया जा रहा है। श्री सिन्हा कहते हैं कि जो बच्चे विशेष आवश्यकता वाले हैं उनको समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए प्रयास लगातार जारी हैं। हम ऐसे बच्चों को पहचानकर उनके लिए थैरेपी की सुविधा उपलब्ध करते हैं। इन सभी से बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है और जिस तरह की उन्हें जरूरत है इस तरह की सहायता के लिए प्रशिक्षक नियुक्त हैं। वहीं दूसरी ओर ये बच्चे जब 18 वर्ष के हो जाते हैं तो इनके लिए वोकेशनल ट्रेनिंग की सुविधा भी उपलब्ध है। इसमें बच्चों को फाइल कवर, एनवलप, कैंडल, हर्बल गुलाल, रजिस्टर आदि सहित अन्य चीजों का निर्माण सिखाया जाता है। इन बच्चों द्वारा निर्मित उत्पादों को भेल के कर्मचारियों एवं संस्था से जुड़े अन्य सामाजिक लोगों को वितरित किया जाता है। वर्तमान में आकांक्षा में ड्राइंग, आर्ट क्राफ्ट एवं अन्य चीजें बच्चों को सिखाई जा रही हैं।
संस्था के अन्य ट्रस्टी एवं भेल के पूर्व जीएम रमेश मेहता बताते हैं कि हमारा उद्देश्य उन बच्चों को मदद उपलब्ध कराना है जिनको आमतौर पर उपेक्षित रखा जाता है। संस्था लंबे समय से विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में प्रयासरत है। श्री मेहता कहते हैं कि आकांक्षा में चल रही गतिविधियों में ये बच्चे बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। किसी भी संस्था का संचालन एक बड़ी जिम्मेदारी है इसके लिए समाज के लोगों की भूमिका भी महत्वपूर्ण है जिनके सहयोग से चीजों को आगे बढ़ाया जा सके। आम जनमानस इससे जुड़े ओर अधिक बच्चे इससे लाभान्वित हों ऐसी अपील की गई है। संस्था के संचालन में अन्य ट्रस्टी प्रमोद कुमार गुप्ता पूर्व एजीएम बीएचईएल, हेमंत अरोड़ा सीए रुड़की, डॉ. राजेश जैन, पूर्व एचओडी, आर्किटेक्चर विभाग, आईआईटी, रुड़की, गिरीश चंद्र, पूर्व डीजीएम बीएचईएल, हरिद्वार , एन के अग्रवाल, भेल आदि जुड़े हैं।