हरिद्वार ( रामेश्वर गौड़ ) जब पूरा देश शांति पूर्ण तरीके से ईद मना रहा था वहीं बीजेपी की ट्रिपल इंजन सरकार में अधिकारियों की लापरवाही से पवित्र गंगा मैली हो गई। गंगा किनारे सिंचाई विभाग की भूमि पर बसी अवैध बस्तियों में जमकर अवैध पशु कटान हुआ, जिससे कटे हुए जानवरों का सैकड़ों लीटर खून और अवशेष सीधे गंगा नदी में समाहित हो गए।
यह सब उस ज़मीन पर हुआ जो कानूनी रूप से न तो कसाईयों की है, न नगर निगम की ओर से लाइसेंस प्राप्त है। यह ज़मीन सरकार की है — गंगा नदी की धारा से सटी भूमि, जिसे पवित्रता और पारिस्थितिकीय संतुलन के नाम पर संरक्षित किया जाना चाहिए था।
बकरा ईद पर ज्वालापुर की अवैध बस्तियों में हुए कटान के बाद कसाई नाला और पांडे वाला नाला जैसे प्रमुख जल निकासी मार्गों में जानवरों के खून की धाराएं बहती रहीं। ये नाले सीधे पंपिंग स्टेशनों से होकर जगजीतपुर स्थित एसटीपी (Sewage Treatment Plant) में पहुंचे, जहां इंजीनियर स्वयं कहते हैं कि एसटीपी केवल गंदे पानी को ट्रीट कर सकता है, खून जैसे जैविक अपशिष्टों को नहीं।
यानी, जो खून नालों में बहा, वह सीधा गंगा में मिला, और इसके गवाह रहे स्थानीय लोग, जो इस बदबूदार और लाल पानी को खुली आंखों से बहता देख रहे थे।