शिक्षा का अधिकार डेस्क। भारतीय क्रिकेटर रिंकू सिंह को बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA Officer) के पद पर नियुक्त किए जाने की घोषणा के साथ ही उनकी एजुकेशन क्वालीफिकेशन पर चर्चा शुरू हो गई है। लोक सेवा आयोग की ओर से बीएसए पद पर भर्ती करवाई जाती है, जिसके लिए पोस्ट ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई जरूरी है, लेकिन रिंकू सिंह की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठने लगे हैं। बीएसए पद पर नियुक्ति के लिए पोस्ट ग्रेजुएशन जरूरी है, लेकिन रिंकू सिंह ने हाई-स्कूल तक की पढ़ाई भी पूरी नहीं की है।ऐसे में सवाल उठता है कि रिंकू को इतना बड़ा अधिकारी पद कैसे दिया जा सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने एथलीटों के लिए एक नई नीति लागू की थी।
प्रदेश सरकार द्वारा चलाई गई अंतर्राष्ट्रीय पदक विजेता सीधी भर्ती नियमावली के तहत प्रदेश सरकार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों की सीधी भर्ती कर सकती है. इसी नीति के तहत रिंकू सिंह के साथ सात अन्य एथलीटों की नियुक्ति की मंजूरी दी गई है। रिंकू सिंह की नियुक्ति पर सोशल मीडिया में तरह तरह की पोस्ट डाली जा रही हैं। यूजर्स का कहना है कि जिस देश में पढ़े लिखे युवाओं की बड़ी फौज बेरोजगार हैं वहां पोस्ट ग्रेजुएट अर्हता एवं आयोग के माध्यम से भरी जाने वाली पोस्ट को नवीं पास खिलाड़ी से भर दिया गया। अभी रिंकू सिंह का क्रिकेट में अंतराष्ट्रीय कैरियर उतना भी बड़ा नहीं कि उन्हें बेसिक शिक्षा अधिकारी का पद दे दिया गया। वहीं दूसरी ओर नियुक्ति की घोषणा के बाद सपा सांसद प्रिया सरोज के साथ रिश्ता जुड़ने से सरकार सकते में आ गई है। सूत्र बताते हैं कि रिंकू सिंह की फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी है और रिंकू सिंह भी अपनी नियुक्ति में कोई खास दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।