शिक्षा का अधिकार डेस्क। हरिद्वार कुंभ मेले में कोविड जांच के नाम पर हुए घोटाले में अब पुलिस की फजीहत हो रही है। प्रवर्तन निदेशालय ने न्यायालय में जो चार्जशीट दाखिल की है उसमें 15 लोगों को आरोपी बनाया गया है जबकि पुलिस ने अपनी जांच में सिर्फ पांच लोगों को आरोपी बनाया था। इस तरह देखें तो पुलिस की कहानी में झोल नजर आता है। अब आईजी गढ़वाल रेंज राजीव स्वरूप ने पुलिस की तरफ से दायर चार्जशीट को दोबारा खुलवाने के आदेश दिए हैं।
हरिद्वार में कुंभ मेला 2021 में आयोजित हुआ था। कोविड महामारी के बीच आयोजित इस मेले में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए व्यापक स्तर पर रैपिड एंटीजन और आरटी-पीसीआर टेस्ट किए गए। जुलाई 2021 में यह खुलासा हुआ कि मेले के दौरान लाखों फर्जी कोविड टेस्ट किए गए। जिनके आधार पर निजी लैबों ने सरकार से करोड़ों रुपये का भुगतान हासिल किया। इस घोटाले का पर्दाफाश तब हुआ जब पंजाब के एक व्यक्ति ने शिकायत की कि उनके आधार और मोबाइल नंबर का उपयोग बिना उनकी जानकारी के हरिद्वार में कोविड टेस्ट के लिए किया गया।
मामला संज्ञान में आने पर उत्तराखंड पुलिस ने एसआईटी का गठन किया था, जिसने नोएडा से शरद पंत, मलिका पंत को गिरफ्तार किया। इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 269, 270, 420, 467, 468, 471 एवं 120-बी, आपदा प्रबंधन अधिनियम और महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस ने न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की जिसमें 5 लोगों को आरोपी बनाया गया। इसके उपरांत यह मामला ईडी के पास गया जिसकी जांच के बाद पुलिस की चार्जशीट पर सवालिया निशान लग गया है।
ईडी ने इनके खिलाफ दाखिल की चार्जशीट
मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज, शरद पंत, मल्लिका पंत, नलवा लेबोरेट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, नवतेज नलवा, डॉ. लाल चंदानी लैब्स, डॉ. अर्जन लाल चंदानी, डीएनए लैब्स, दिव्य प्रकाश पांडे, नरोत्तम शर्मा, सौरभ जैन, नोवस पैथ लैब्स, संध्या शर्मा, मनोज कुमार मिश्रा और आशीष वशिष्ठ।
कैसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
इस घोटाले का खुलासा तब हुआ, जब इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की वेबसाइट पर अपलोड किए गए डाटा की जांच में अनियमितताएं पाई गईं। कई मामलों में एक ही मोबाइल नंबर से अलग-अलग व्यक्तियों की टेस्ट रिपोर्ट दर्ज की गई थी। कुछ श्रद्धालुओं को उनके फोन पर कोविड टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव या निगेटिव होने के मैसेज आए, जबकि उनकी जांच हुई ही नहीं थी।
फर्जी टेस्ट रिपोर्ट तैयार करने का आरोप
ईडी की चार्जशीट में जिन 15 आरोपियों के नाम शामिल हैं, इनमें मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के निदेशक शरद पंत और उनकी पत्नी मलिका पंत भी शामिल हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने वास्तविक टेस्ट किए बिना एक लाख से अधिक फर्जी कोविड टेस्ट की रिपोर्ट तैयार की। ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि इन लैब्स ने एक ही मोबाइल नंबर और पते का दुरुपयोग करके टेस्ट की संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया, जिससे सरकार को लगभग तीन से चार करोड़ रुपये तक का नुकसान हुआ।
दिल्ली तक पड़े थे छापे
ईडी ने पीएमएलए 2002 के तहत जांच शुरू की थी। इस दौरान दून, दिल्ली, हरिद्वार, नोएडा और हिसार में कई लैब्स और उनके निदेशकों के ठिकानों पर छापेमारी की गई। ईडी ने दस्तावेज, फर्जी बिल, लैपटॉप, फोन और 30.9 लाख रुपये जब्त किए। पता चला कि मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज, नोवस पैथ लैब्स, डीएनए लैब्स, डॉ. लाल चंदानी और नलवा लैबोरेटरीज जैसी लैब्स ने फर्जी रिपोर्ट तैयार कीं और सरकारी धन की लूट की।