शिक्षा का अधिकार डेस्क। सरकारी स्कूलों के सुगम-दुर्गम कोटिकरण की खामियों की वजह से इस वर्ष तबादलों पर रोक भी लग सकती है। हाईकोर्ट ने शिक्षकों की एक रिट पर निर्देश देते हुए सरकार को कहा है कि क्यों न वर्तमान तबादला सत्र को शून्य सत्र घोषित कर दिया जाए?
हाईकोर्ट शिक्षा सचिव को मुख्य सचिव से परामर्श कर पक्ष रखने के निर्देश दे चुका है। हाईकोर्ट के नौ अप्रैल के इस आदेश के बाद शिक्षा विभाग में खलबली का माहौल है।
शिक्षा महानिदेशालय ने इस बाबत शासन को पत्र भेजते हुए दिशा निर्देश मांगे हैं। सोमवार को महानिदेशक-शिक्षा झरना कमठान ने इसकी पुष्टि की। प्रमुख दैनिकों में प्रकाशित खबर के अनुसार इस मामले में कार्मिक विभाग से परामर्श लिया जा रहा है। तबादलों को लेकर अंतिम निर्णय कार्मिक विभाग के स्तर से ही किया जाता है। हाईकोर्ट के आदेश पर टिप्पणी करने पर शिक्षा अधिकारी काफी बच रहे हैं।
सूत्रों ने अनुसार हाईकोर्ट ने कहा कि सुगम और दुर्गम का कोटिकरण काफी अस्पष्ट है। कोटिकरण की कोई विधि तय नहीं की गई है। कोर्ट ने इसके साथ ही कई विसंगतियों की ओर ध्यान खींचते हुए कहा कि इन पहलू की जांच करने के लिए गंभीर प्रयास किए जाने चाहिए। कोर्ट का विचार है कि वर्तमान सत्र को तबादलों के प्रयोजनों के लिए शून्य क्यों न घोषित किया जाए? वहीं तबादलों की प्रक्रिया से शिक्षक नाराज हैं। विभिन्न श्रेणी में आने के बाद शिक्षकों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। जब से ट्रांसफर एक्ट बना तबसे न यह एक्ट रहा ना ही पॉलिसी जिसके तहत पूर्व में ट्रांसफर हो रहे थे।