हरिद्वार। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में चल रहे दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का रविवार को समापन हो गया। संगोष्ठी में भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा (भासंज्ञाप) से जुड़े उत्तराखंड, दिल्ली, मप्र, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गुजरात सहित 22 राज्यों के 390 प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया।
अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि शिक्षक और विद्यार्थी के बीच सही सामंजस्य और समझ स्थापित हो जाए तो शिक्षक अपने विद्यार्थियों को न केवल शिक्षा देने में, बल्कि उनके चरित्र और जीवन को सही दिशा देने में भी सक्षम हो सकते हैं। विद्यार्थी जीवन वह महत्वपूर्ण समय होता है जब युवा अपने व्यक्तित्व और जीवन के उद्देश्य की नींव रखते हैं। इस दौरान उन्हें अगर सही मार्गदर्शन, सकारात्मक सोच और जीवन के सही मूल्य मिलते हैं, तो वह अपने जीवन में सफलता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं और समाज के लिए एक आदर्श बन सकते हैं। यह बातें उन्होंने वर्चुअल जुड़ने के बाद कही। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में चल रहे दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का रविवार को समापन हो गया। संगोष्ठी में भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा (भासंज्ञाप) से जुड़े उत्तराखंड, दिल्ली, मप्र, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गुजरात सहित 22 राज्यों के 390 प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। इससे पूर्व व्यवस्थापक योगेन्द्र गिरी ने प्रतिभागी शिक्षक, जिला व प्रांतीय समन्वयकों को संस्कृति को बचाने के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य करने के लिए प्रेरित किया। शिविर समन्वयक ने बताया कि वर्ष 2024 की अपेक्षाकृत 2025 में 1 लाख 51 हजार स्कूलों तक पहुंचने के लिए कार्य योजना बनाई गई। उन्होंने बताया कि इस वर्ष राजस्थान के राजसमन्द जिला को सर्वाधिक विद्यार्थियों तक भासंज्ञाप को पहुंचाने के लिए विशेष पुरस्कार से नवाजा गया।