पकड़े गए फर्जी जज साहब, कोर्ट, जिरह, तारीख और जजमेंट सबकुछ किया, अरबों की जमीन हड़पी

गांधीनगर। गुजरात में एक शख्स ने फर्जी ट्रिब्यूनल बनाया। खुद को उसका जज बताया और गांधीनगर में बने अपने ऑफिस में असली अदालत जैसा माहौल बनाते हुए फैसले भी सुनाए। आरोपी का नाम मॉरिस सैमुअल है।

 

गुजरात के अहमदाबाद में एक फर्जी कोर्ट पकड़ी गई। पेशे से एक वकील नकली जज बनकर पिछले कई साल से फर्जीवाडे़ का यह धंधा चल रहा था। मामला प्रकाश में आने पर कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने कड़ी कार्रवाई की। अहमदाबाद सिविल कोर्ट के सामने एक फर्जी कोर्ट चलाए जाने का मामला सामने आया है। ये फर्जी कोर्ट काफी समय से चल रही थी। हैरानी की बात ये है कि पेशे से वकील मॉरिस क्रिश्चन ने फर्जी जज बनकर विवादित जमीनों से जुड़े मामले में कई ऑर्डर पास किए। बताया जा रहा है कि इनमें से कुछ ऑर्डर डीएम ऑफिस तक पहुंच गए। मामला तब प्रकाश में आया जब इससे जुड़ा केस अहमदाबाद सिटी सेशंस कोर्ट के जज के पास पहुंचा। फिर रजिस्ट्रार ने इसकी शिकायत थाने में दर्ज कराई। पुलिस ने जांच के बाद मॉरिस क्रिश्चन को गिरफ्तार कर लिया। अहमदाबाद में फर्जी कोर्ट के इस खुलासे से हड़कंप मच गया। बताया जा रहा है कि आरोपी मॉरिस क्रिश्चन पेशे से एक वकील है। आरोप है कि उसने एक फर्जी न्यायाधीकरण बनाकर खुद को जज के रूप में पेश किया। अहमदाबाद के भादर में सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट के रजिस्ट्रार हार्दिक देसाई ने कारंज पुलिस स्टेशन में आरोपी मॉरिस सैमुअल क्रिश्चिन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। रजिस्ट्रार हार्दिक देसाई द्वारा दायर शिकायत में यह कहा गया है कि आरोपी ने अन्य व्यक्तियों के साथ ठाकोर बापूजी छनाजी के नाम पर एक आपराधिक साजिश रची। उसने खुद को मध्यस्थ के रूप में पेश किया।

साथी वकील बनकर खड़े होते, ताकि कार्रवाई असली लगे मॉरिस उन लोगों को फंसाता था, जिनके जमीनी विवाद के केस शहर के सिविल कोर्ट में पेंडिंग थे। वह अपने मुवक्किलों से उनके मामले को सुलझाने के लिए फीस के तौर पर कुछ पैसा लेता था। मॉरिस खुद को कोर्ट से नियुक्त किया गया आधिकारिक मध्यस्थ बताता था। वह अपने मुवक्किलों को गांधीनगर के अपने ऑफिस में बुलाता था, जिसे अदालत की तरह डिजाइन किया गया था।

 

मॉरिस केस से जुड़ी दलीलें सुनता और ट्रिब्यूनल के अधिकारी के रूप में आदेश पारित करता था। इतना ही नहीं, उसके साथी अदालत के कर्मचारी या वकील के रूप में खड़े होकर यह दिखाते थे कि कार्रवाई असली है। इस तरकीब से आरोपी मॉरिस 11 से ज्यादा मामलों में अपने पक्ष में ऑर्डर पारित कर चुका था।

 

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